Amarkosh | Sanskrit 2.1 Icon

Amarkosh | Sanskrit

Srujan Jha Education
5
3 Ratings
136K+
Downloads
2.1
version
Feb 10, 2020
release date
28.4 MB
file size
Free
Download

About Amarkosh | Sanskrit Android App

अमरकोश संस्कृत के कोशों में अति लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। इसे विश्व का पहला समान्तर कोश (थेसॉरस्) कहा जा सकता है। इसके रचनाकार अमरसिंह बताये जाते हैं जो चन्द्रगुप्त द्वितीय (चौथी शब्ताब्दी) के नवरत्नों में से एक थे। कुछ लोग अमरसिंह को विक्रमादित्य (सप्तम शताब्दी) का समकालीन बताते हैं। इस कोश में प्राय: दस हजार नाम हैं, जहाँ मेदिनी में केवल साढ़े चार हजार और हलायुध में आठ हजार हैं। इसी कारण पंडितों ने इसका आदर किया और इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
अमरकोश श्लोकरूप में रचित है। इसमें तीन काण्ड (अध्याय) हैं। स्वर्गादिकाण्डं, भूवर्गादिकाण्डं और सामान्यादिकाण्डम्। प्रत्येक काण्ड में अनेक वर्ग हैं। विषयानुगुणं शब्दाः अत्र वर्गीकृताः सन्ति। शब्दों के साथ-साथ इसमें लिङ्गनिर्देश भी किया हुआ है।अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है। इसका कारण यह है कि भारत के प्राचीन पंडित "पुस्तकस्था' विद्या को कम महत्व देते थे। उनके लिए कोश का उचित उपयोग वही विद्वान् कर पाता है जिसे वह कंठस्थ हो। श्लोक शीघ्र कंठस्थ हो जाते हैं। इसलिए संस्कृत के सभी मध्यकालीन कोश पद्य में हैं। इतालीय पडित पावोलीनी ने सत्तर वर्ष पहले यह सिद्ध किया था कि संस्कृत के ये कोश कवियों के लिए महत्त्वपूर्ण तथा काम में कम आनेवाले शब्दों के संग्रह हैं। अमरकोश ऐसा ही एक कोश है।
अमरकोश का वास्तविक नाम अमरसिंह के अनुसार नामलिगानुशासन है। नाम का अर्थ यहाँ संज्ञा शब्द है। अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अव्यय भी दिए गए हैं, किन्तु धातु नहीं हैं। धातुओं के कोश भिन्न होते थे (काव्यप्रकाश, काव्यानुशासन आदि)। हलायुध ने अपना कोश लिखने का प्रयोजन कविकंठ-विभूषणार्थम् बताया है। धनंजय ने अपने कोश के विषय में लिखा है - मैं इसे कवियों के लाभ के लिए लिख रहा हूँ (कवीनां हितकाम्यया)। अमरसिंह इस विषय पर मौन हैं, किंतु उनका उद्देश्य भी यही रहा होगा।
अमरकोश में साधारण संस्कृत शब्दों के साथ-साथ असाधारण नामों की भरमार है। आरंभ ही देखिए- देवताओं के नामों में लेखा शब्द का प्रयोग अमरसिंह ने कहाँ देखा, पता नहीं। ऐसे भारी भरकम और नाममात्र के लिए प्रयोग में आए शब्द इस कोश में संगृहीत हैं, जैसे-देवद्रयंग या विश्द्रयंग (3,34)। कठिन, दुलर्भ और विचित्र शब्द ढूंढ़-ढूंढ़कर रखना कोशकारों का एक कर्तव्य माना जाता था। नमस्या (नमाज या प्रार्थना) ऋग्वेद का शब्द है (2,7,34)। द्विवचन में नासत्या, ऐसा ही शब्द है। मध्यकाल के इन कोशों में, उस समय प्राकृत शब्द भी संस्कृत समझकर रख दिए गए हैं। मध्यकाल के इन कोशों में, उस समय प्राकृत शब्दों के अत्यधिक प्रयोग के कारण, कई प्राकृत शब्द संस्कृत माने गए हैं; जैसे-छुरिक, ढक्का, गर्गरी (प्राकृत गग्गरी), डुलि, आदि। बौद्ध-विकृत-संस्कृत का प्रभाव भी स्पष्ट है, जैसे-बुद्ध का एक नामपर्याय अर्कबंधु। बौद्ध-विकृत-संस्कृत में बताया गया है कि अर्कबंधु नाम भी कोश में दे दिया। बुद्ध के 'सुगत' आदि अन्य नामपर्याय ऐसे ही हैं।
अपार हर्ष के साथ सूचित कर रहा हूँ कि इस अमरकोश ग्रन्थ का एण्ड्रॉयड एप्लीकेशन अभी प्रस्तुत है । इसमें वर्ग के अनुसार उनके शब्द तथा शब्दों के पर्याय पद को दर्शाया गया है । साथ ही उपयोगकर्ता के सौलभ्य हेतु सभी शब्दों का शब्दकल्पद्रुम तथा वाचस्पत्यम् के साथ साथ वीलियम मोनियर डिक्शनरी तथा आप्टे अंग्रेजी डिक्शनरी भी दिया गया है । आशा है कि उपयोगकर्ता विद्वान अपना सहत्वपूर्ण राय अवश्य देंगे ।

Other Information:

Package Name:
Requires Android:
Android 4.1+
Other Sources:

Download

This version of Amarkosh | Sanskrit Android App comes with one universal variant which will work on all the Android devices.

Variant
10
(Feb 10, 2020)
Architecture
universal
Minimum OS
Android 4.1+
Screen DPI
nodpi (all screens)
Loading..