Satpanth 1.2.4 Icon
4.8
412 Ratings
5K+
Downloads
1.2.4
version
Sep 07, 2016
release date
4.1 MB
file size
Free
Download

What's New

Satpanth Variyaghna

About Satpanth Android App

 •वैदिक सनातन सतपंथ•

वैदिक धर्म प्राचीनतम धर्म है इसलिये उनको सनातन कहते है । सतपंथ उसी सनातन धर्म का अंग है । ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, कर्म, भक्ति, उपासना पध्दति की शिक्षा देनेवाले कर्ममार्गी तो अथर्व वेद मानवी जीवन उन्नत सुसंस्कारी ओर ज्ञानविज्ञाननिष्ठ धर्ममार्ग की शिक्षा देनेवाला सर्वश्रेष्ठ धर्म ग्रंथ है । इसके अतिरिक्त चार उपवेद षड्दर्शनशास्त्र उपनिषदादि ग्रंथ वेदांत यह सब वैदिक धर्ममार्गके सद्ग्रंथोका मंथन दोहन करके सतपंथ प्रवर्तक सदगुरू इमामशाह महाराजजीने मुळबंध धर्मग्रंथ का निर्माण कीया है ।

•वैदिक सनातन सतपंथ संप्रदाय में एक सत निर्गुण निराकार सर्वज्ञ सर्वव्यापक सत-चित-आनंद स्वरूप ईश्वरको ही पुज्य याने उपास्य माना है।

•सनातन सतपंथ ज्ञानमार्गके अनुसार मनुष्यको यत्यज्ञान प्राप्त होता है । उससे निष्काम भावसे शुभ कर्म और ईश्वर उपासना की जाती है, उसमे उसकी अविधा राग देषादि वासना नष्ट होती है।

•सनातन सतपंथ वैदिक धर्म में अनेक नामोंसे भगवानका स्मरण किया जाता है । उसमे मुख्य ૐ है, और उपास्य दैवत निष्कलंकी नारायण भगवान है ।

•सनातन सतपंथ के अनुयायी परस्पर मिलते है तब जय गुरूदेव, जय श्री निष्कलंकी नारायण ऐसे सांकेतिक नामसे अभिवादन करते है ।

•पवित्र तीर्थधाम-प्रेरणापीठ

• सतपंथ धर्मका प्रेरणास्त्रोत, पवित्र तीर्थधाम जिसके स्मरण मात्रसे मनुष्य के तन-मन के दोषोका निवारण हो जाये , जहा स्वेत धव्जा और पवित्र अंखड दिव्य ज्योती के दर्शन मात्र से मानव मनको शांति मिले ऐसी सदगुरु श्री इमामशाह महाराज के द्वारा छेसो वर्ष पूर्वे स्थापीत पुण्यशाळी पवित्र भूमी ही प्रेरणापीठ-पीराणा हे . जिसने जीवनमें ऐकबार भी इस पवित्र भूमिके दर्शन न किये हो उसका जीवन अधुरा ही हे.

•इस तीर्थधाम की खास विशेषताए (1) कुंवारीका स्थल. (2) समाधीस्थल. (3) सुध घी की अंखड दिव्य ज्योत. (4) स्वेत ध्वज. (5) चांदीकी चरण पीदुका. (6) सोना का कलश. (7) नगीना गोमती. (8) ठंडी शिला (9) लोहे की बेडी (संकल). (10) ढोलीया मंदिर. छेसो वर्ष पूर्वे सदगुरु श्री इमामशाह महाराज हिन्दुस्तानमें हिन्दु वैदिक धर्मका प्रचार करते करते अंत मे अहमदाबाद के गीरमठा गाव में आकार, द्वापरयुग में श्री कृष्ण भगवान द्वारा कुंवारीका धरतीके रक्षण के लिए सिंह को प्रगट किया था. वह सिंह गीरमठा गाव के पश्चिम अघाट जंगलमें रहता था, उस दिशामें तीर चलाकर सिंहके कानको छेदकर तीर धरतीमें समां गया . उस स्थल पर सदगुरु श्री इमामशाह महाराजे प्रेरणापीठनी पिराना कि स्थापना की. और उस स्थल को ''कुंवारीका क्षेत्र'' कहते हे. और उस स्थल में सदगुरु श्री इमामशाह महाराजे अंतिम समय में पांचशिष्योकी हाजरीमें फुलो का ढेर बन के स्वधामे गये , उस पवित्र स्थल को ''समाधीस्थल (मंदिर)'' कहते हे. सदगुरु श्री इमामशाह महाराज अंतिम समय में अपने पांच पट्टशिष्योको बुलाकर सत्यधर्मकी वात समजायी और स्वयं को परम तत्वमें विलय होने की बात की. उसके बाद सदगुरुजी ने खली दिये में बाति रखकर अपनी दिव्य शक्तिके योगबल से स्वयं ज्योती को प्रगट की. उनके पांचो शिष्यो नाया महाराज, शाणाकाका, कीकीबाई , भाभाराम और चंदनवीर महाराजको कहा की मेरे स्वधाम में जाने के बाद भी यह ''दिव्यज्योति'' अंनत काल तक रहेगी और यह ''स्वेत ध्वज '' धर्म और शांतिका संदेश देते हुए कायम लहराती रहेगी और यह ''चांदीकी चरण पादुका'' का पूजन करना. सदगुरु श्री इमामशाह महाराज ने पहलेसे ही समाधी स्थळ तैयार कराएथे. उसके उपर घुम्मट बनाएथे उसके उपर ''सोने का कळश'' लगाये थे जो आज भी दश्यमान हे. सदगुरु श्री जहा बेठ कर धर्म उपदेश देते वह स्थल ''नगीनागोमती'' कहलाता हे जोकि समाधी स्थलके सामने हे. समाधी स्थल और नगीना गोमटी के बिच में चंदनवीर (मुख्यपट्टशिष्य) की समाधी हे. चंदनवीरकी समाधी के बाजु में जहा सदगुरु कायम तपश्चर्या करते उस जगह पर जो शिला हे उसे ''ठंडीलाधी (ठंडी शिला)'' कहते हे. आज भी कितनी भी गर्मी हो पर वो शिला गर्मी में भी ठंडी रहती हे. यात्रालुओ अपने कार्यनी सफलता मिलेगी या उनके दुःख तकलीफ का निराकरण के लिए पैर में “लोहे की बेडी(संकल)'' पहन कर सफळता का बोल लेते हे. जो उनका कार्य सिद्ध होने का हो तो संकल अथवा बेडी अपने आप खुल जाती हे.

Other Information:

Package Name:
Requires Android:
Android 4.0+
Other Sources:
Category:

Download

This version of Satpanth Android App comes with one universal variant which will work on all the Android devices.

Variant
102048
(Sep 07, 2016)
Architecture
universal
Minimum OS
Android 4.0+
Screen DPI
nodpi (all screens)
Loading..